Parliament of India: भारतीय संसद क्या है? संसद के कार्य, अधिकार एवं शक्तियां|

Parliament of India: आज के आर्टिकल के अंतर्गत हम आपको संसद के बारे में बताने वाले हैं संसद का नाम आप सभी ने जरूर सुना होगा क्योंकि केंद्र स्तर पर संविधान द्वारा स्थापित विधायिका को ही संसद या Parliament of India कहते हैं| लेकिन किसी भी राज्य में भी विधायिका होती है और उसे राज्य स्तर पर विधानमंडल या लेजिसलेटिव ऑफ स्टेट कहते हैं| लेकिन भारत देश में सबसे बड़ी विधायिका के रूप में सांसद ही है जो केंद्र सरकार के गठन में कार्य करती है और संविधान के अनुसार प्राप्त शक्तियों के आधार पर कार्यपालिका को सहयोग में नियंत्रित करती है|

यदि आपको Parliament of India से संबंधित जानकारी नहीं है और आप इस विषय से संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं तो आज का हमारा आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होने वाला है क्योंकि आज हम आपको संसद के बारे में सभी जानकारियां प्रदान करने वाले हैं|

संविधान क्या है? Indian Constitution in Hindi संविधान की परिभाषा, प्रकार, और कार्य

भारतीय संसद के कितने अंग है? – Parliament of India

Parliament of India

भारतीय सर्वोच्च विधायक का या सांसद राष्ट्रपति और दो सदनों लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर बनती है संसद के निर्माण में एक उच्च सदन जिसे राज्यसभा और एक निम्न सदन जिसे लोकसभा के नाम से जाना जाता है जबकि देश का राष्ट्रपति जो कि दोनों में किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है यही तीनों अंगों के द्वारा देश का मार्गदर्शन जनता के प्रतिनिधित्व के आधार पर करता है|



Lok Sabha or Rajya Sabha me Antar लोक सभा और राज्य सभा में अंतर

संसद के प्रमुख कार्य

  1. कार्यपालिका का नियंत्रण

संसद का एक महत्वपूर्ण कार्य है मंत्री परिषद की चौक और वचनबद्धता की जवाब दे ही करते हुए उसे पर नियंत्रण के अधिकार का प्रयोग करना धारा 75 (3) में यह स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रिपरिषद तभी तक कार्यरत रह सकती है जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त है संसद का यह महत्वपूर्ण कार्य एक जवाब दे शासन को सुनिश्चित करता है|

  • कानून बनाना

कानून बनाना किसी भी विधानमंडल का प्रधान कार्य है भारत की संसद उन तमाम विषयों पर कानून बनाती है जो संघ सूची और समयवर्ती सूची में शामिल है|

  • वित्त का नियंत्रण

सांसद खासकर लोकसभा वित्त के कार्यक्षेत्र में महत्वपूर्ण अधिकारों का प्रयोग करते हैं विधायिका को यह सुनिश्चित करना होता है कि सार्वजनिक निधि की उगाही और भी उसकी अनुमति से हो|

  • संवैधानिक कार्य

संविधान के अंतर्गत सांसद एकमात्र निकाय हैं जो संविधान में संशोधन के लिए कोई प्रस्ताव पेश कर सकता है संशोधन का प्रस्ताव किसी भी सदन लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जा सकता है|

  • निर्वाचन संबंधी कार्य

सांसद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी भाग लेती है यह अपने समितियां के विभिन्न सदस्यों पीठासीन पदाधिकारी और अप पीठासीन पदाधिकारी को भी चुनौती है|

  • न्यायिक कार्य

संसद के पास राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जजों के साथ-साथ संघ वे राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों तथा सदस्यों और CAG पर महाभियोग चलाने का अधिकार है|

Lok Sabha Ke Upadhyaksh Kaun Hai जानिए संपूर्ण जानकारी

संसद के विशेष अधिकार

  • अधिवेशन के दौरान संसद की मंजूरी के बिना किसी भी सदस्य को गवाही के लिए नहीं कहा जा सकता|
  • अपितु संसद में अभी व्यक्ति के आधार पर स्वतंत्र रूप से विचार रखने का अधिकार है| लेकिन देश के उच्च या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के व्यवहार के बारे में चर्चा नहीं कर सकते|
  • संसद के किसी भी सदन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट या परिचय के विरुद्ध कोर्ट में उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं की जा सकती|

Lok Sabha Sansad Kaise Bane – लोक सभा सांसद कैसे बने जानिए पूरी जानकारी

संसद की शक्तियां

  • वित्तीय शक्ति

संसद को संघ के वित्त पर पूर्ण अधिकार है प्राक्कलन समिति तथा लोक लेखा समिति का गठन संसद द्वारा किया जाता है तथा भारत की संचित निधि पर संसद का पूर्ण नियंत्रण होता है संसद द्वारा निर्मित विधि के प्रावधानों के अनुसार ही भारत की संचित निधि से धन निकाला जा सकता है संसद को आकस्मिक निधि को भी स्थापित करने का अधिकार है संसद के समक्ष वार्षिक बजट पेश किया जाता है जिसमें वर्ष के प्रकलित प्राप्तियो का विवरण होता है|

इसके अतिरिक्त संसद का विनियोग विधेयक अनुपूरक अतिरिक्त या अधिक अनुदान लेखा अनुदान प्रत्यय अनुदान तथा अपवाद अनुदान के संबंध में पर्याप्त शक्ति है कराधान प्रस्ताव को परिवर्तित करने हेतु संसद को वित्त विधेयक पारित करने की शक्ति है|

  • कार्यपालिका संबंधी शक्ति

संसद सदस्यों में से ही सत्ता पक्ष के सदस्यों से मंत्री परिषद का गठन किया जाता है संसद सदस्य कई प्रस्तावों के माध्यम से मंत्री परिषद पर नियंत्रण रखते हैं तथा मंत्री परिषद को संसद के प्रति उत्तरदाई बनाए रखते हैं|

  • राज्यों से संबंधित शक्ति

सांसद राज्य की सीमाओं तथा नाम में परिवर्तन कर सकती हैं| नए राज्यों का गठन कर सकती है राज्यों का विभाजन कर सकती है और कई राज्यों को मिलाकर एक राज्य बन सकती है साथ ही किसी विधान राज्य को किसी विधान राज्य में मिल सकती है|

  • संविधान में संशोधन की शक्ति

संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है लेकिन संसद का यह अधिकार असीमित नहीं है क्योंकि संसद संविधान संशोधन द्वारा संविधान के मूल ढांचे को परिवर्तित नहीं कर सकती|

FAQ’s

संसद के कितने भाग हैं?

संसद में दो भाग है लोकसभा में राज्यसभा|

सबसे कम उम्र के संसद सदस्य?

कुमारी चंद्रानी मुर्मू|

संसद में कितने सत्र होते हैं?

1 वर्ष में लगभग तीन सत्र होते हैं|

Follow us on

Leave a Comment