Lok Sabha Sansad Kaise Bane – लोक सभा सांसद कैसे बने जानिए पूरी जानकारी

Lok Sabha Sansad Kaise Bane: आज हम लोकसभा के विषय में बात करेंगे और आप सभी को Lok Sabha Sansad Kaise Bane| ये भी बतायेगे दोस्तों आज जिस विषय पर हम चर्चा करने वाले हैं| वो लोक सभा सांसदकैसे बनते हैं| इस विषय में हैं| इससे पहले भी हम लोकसभा और राज्यसभा को लेकर आपको जानकारी दे चुके हैं| लेकिन आज हम लोकसभा सांसद के बारे में आपको बताने वाले हैं|

लोक सभा सांसद को लेकर कुछ जानकारी

हमारे देश की आज़ादी के बाद से अभी तक लोकसभा के 16 चुनाव हो चुके हैं| लोकसभा सदस्य बन जाने के बाद लोकसभा सदस्य का कार्यकाल 5 वर्ष होता हैं| 5 वर्ष के कार्यकाल के बाद फिर से इलेक्शन कमिशन चुनाव करवाता हैं| और फिर से एक नया लोकसभा सदस्य चुना जाता हैं| इस सदस्य को को एमपी कहा जाता हैं| यानी के लोकसभा के सदस्यों को एमपी के नाम से जाना जाता हैं|

Lok Sabha Sansad Kaise Bane

Lok Sabha Sansad Kaise Bane – दोस्तों आपको बता दे के जो व्यक्ति संसद में बैठता हैं| उसी को सांसद कहा जाता हैं| और आपको ये भी पता होना चाहिए के सांसद वो ही भारतीय बन सकता हैं| जिसको हमारे देश की जनता खुद चुनती हैं| संसद के किसी भी सदन के लिए राष्ट्रपति दुवारा निर्वाचित या मनोनीत लोगो को संसद सदस्य कहा जाता हैं| संसद, लोकसभा के सदस्य एकल सदस्यीय जिलों में भारतीय जनता के मतदान दुवारा सीधे चुने जाते हैं| और संसद सदस्य, राज्य सभा सभी राज्य विधानसभा के सदस्यों दुवारा अनुपातिक प्रतिनिधान दुवारा चुने जाते हैं|

यह चुनाव 5 साल में होता हैं| और इस चुनाव में कई प्रतियाशी चुनाव लड़ने के लिए खड़े होते हैं| और फिर चुनाव होता हैं| जनता के द्वारा वोटिंग की जाती हैं| फिर Voting की Counting  होती हैं| और जिस प्रतियाशी के वोट अधिक होते हैं| यानी जिस प्रतियाशी को जनता अधिक पसंद करती हैं| और अधिक वोट देती हैं| वो प्रतियाशी जीत जाता हैं| और लोकसभा सांसद बन जाता हैं|

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Lok Sabha Sansad Kaise Bane

एमपी की फुल फॉर्म

M -Member of

P – Parliament



लोकसभा सांसद का कार्यकाल

जैसा की हमने आपको अभी बताया की लोकसभा सांसद का कार्यकाल 5 वर्ष होता हैं| वो चाहे पुरानी लोकसभा हो या फिर जो नयी लोकसभा का गठन हो रहा हैं| वो हो लेकिन लोकसभा का कार्यकाल होता 5  वर्ष के लिए ही हैं| 5  वर्ष बाद फिर से इलेक्शन होते हैं| और जनता दुवारा चुने गए प्रतियाशी को नया लोकसभा सांसद बना दिया जाता हैं| इस चुनाव को कराने के लिए एक निश्चित तारीख तय की जाती हैं| और उसी तारीख पर चुनाव होते हैं| इस चुनाव का मतदान छोटे राज्यों में एक साथ ही करा लिया जाता हैं| जबकि बड़े राज्यों में ये मतदान कई चरणों में होता हैं| इन मतदान में जीतने वाला प्रतियाशी एमपी बन जाता हैं|

एमपी बनने के बाद उसको दिल्ली भेज दिया जाता हैं| और वो एमपी अपने पद को संभालता हैं| MP जब रिटायर हो जाता हैं| तो सरकार इन रिटायर एमपी को कई प्रकार की सरकारी सुविधाएं देती हैं| जैसे – पेंशन , भत्ते आदि| और ये सुविधाएं रिटायर M.P. को उसके जीवन के अंतिम दिनों तक मिलती हैं|

Lok sabha का गठन कब हुआ

लोक सभा में सभी बातो को जानने के साथ आपको ये जानकारी भी होनी चाहिए की लोकसभा का गठन कब हुआ था| इसलिए अब हम आपको बताते हैं| की लोकसभा का गठन कब हुआ था|

लोकसभा का गठन 25 अक्टूबर 1951 को यह प्रक्रिया प्रारम्भ हुई थी| और 21फरवरी 1952 को ये प्रक्रिया सम्पन्न हुई| 17 अप्रैल 1952  को सर्व्प्रथम लोकसभा का गठन हुआ|

लोकसभा सांसद के वेतन और भत्ते

संविधान के अनुच्छेद 106 के अनुसार सांसदों को यह अधिकार है कि वह कानून बनाकर अपना वेतन और भत्ते देख कर सके भारतीय सांसदों के वेतन और भत्ते अन्य देशों के सांसदों से अलग हैं| जैसे- भारत में सांसदों को आवास दिया जाता है जबकि ब्रिटेन में किराए पर आवास लेने के लिए भत्ता मिलता है और अमेरिका के सांसदों को ऐसा कोई भत्ता प्राप्त नहीं होता है|

वर्ष 1985 में सांसद में एक कानून बना जिसके मुताबिक सांसदों के लिए कुछ निश्चित भत्ते जैसे कार्यालय भत्ते आवासीय भक्तों को निर्धारित और संशोधित करने की शक्ति केंद्र सरकार को दी गई थी|

वर्ष 2018 में सांसदों के कानून में संशोधन किया गया था संशोधन में यह प्रावधान था कि सांसदों के वेतन भत्ते और पेंशन में हर 5 वर्ष में बढ़ोतरी की जाएगी|

कैबिनेट मंत्रियों का प्रतिमाह वेतन 1,00,000 रुपया है इसके अतिरिक्त कर्तव्य पालन के लिए प्रतिदिन 2000 रुपये निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70000 और कार्यालय भत्ता प्रतिमाह 60,000 रुपये है| सांसदों को रेल पानी बिजली टेलीफोन चिकित्सा समेत अन्य कई सुविधाएं मुफ्त में मिलती है वही फ्लाइट के किराए में छूट मिलती है|

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सांसद बनने की योग्यता

  • जो भी व्यक्ति सांसद का चुनाव लड़ना चाहता हैं| उसे भारत का नागरिक होना अनिवार्य हैं|
  • एमपी बनने के लिए उम्मीदवार की आयु कम से कम 25 वर्ष या इससे अधिक होनी चाहिए|
  • सांसद का उम्मीदवार व्यक्ति पागल या दिवालिया नहीं होना चाहिए|
  • उम्मीदवार का नाम वोटर लिस्ट में आवश्य होना चाहिए|
  • सांसद का उम्मीदवार व्यक्ति भारतीय संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखता हो|

लोकसभा सांसद के मुख्य कार्य

  • लोकसभा सांसद का मुख्य कार्य कानूनों को पारित करना हैं|
  • कामकाज के विषय में चर्चा के लिए भी लोकसभा सांसद सदन में भाग लेते हैं|
  • संसद का कार्य जनता के सामाजिक तथा भोतिक कल्याण हेतु कानूनों का निर्माण करना हैं|
  • ये  संघ सूची तथा समयवर्ती सूची के किसी भी विषय पर कानून बना सकती हैं|
  • कुछ परिस्थितयो में ये राज्य सूची में आने वाले विषयो पर भी कानून बना सकती हैं|

(भारत में लोक सभा सीटों का आवंटन) Allocation of Lok Sabha Seats in India-

उत्तर प्रदेश80
महाराष्ट्र48
आंध्र प्रदेश42
पश्चिम बंगाल42
बिहार40
तमिलनाडु39
मध्यप्रदेश29
कर्नाटक28
गुजरात26
राजस्थान25
उड़ीसा21
केरल20
असम14
झारखंड14
पंजाब13
छत्तीसगढ़11
हरियाणा10
जम्मू कश्मीर6
उत्तराखंड5
हिमाचल प्रदेश4
अरुणाचलप्रदेश2
गोवा2
त्रिपुरा2
मणिपुर2
मेघालय2
नागालैंड1
मिजोरम1
सिक्किम1
Delhi7
अंडमान निकोबार1
चंडीगढ़1
दमन दीव1
दादरा नगर हवेली11
पांडिचेरी1
लक्ष्यदीप1

FAQ’s

भारत में सबसे ज्यादा लोकसभा सीट कौन से राज्य में है?

उत्तर प्रदेश

लोकसभा में कुल सीटों की संख्या कितनी हैं?

लोकसभा में सीटों की संख्या 545 हैं|

एक जिले में कितने सांसद हो सकते हैं?

एक जिले में 6 या 7 सांसद हो सकते हैं|

लोक सभा के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?

गणेश वासुदेव मावलंकर लोक सभा के प्रथम अध्यक्ष थे|

वर्तमान समय में लोकसभा का अध्यक्ष कौन हैं?

ओम बिरला वर्तमान समय में लोकसभा के अध्यक्ष हैं|

भारत के संसद का क्या नाम हैं?

लोकसभा (निचला सदन ) राज्यसभा (उच्च सदन)|

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