Chandrayaan Kya Hai : चंद्रयान 3 मिशन के जरिए भारत ने आज इतिहास रच दिया भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के chandrayaan-3 मिशन सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से युक्त लेंडर मॉड्यूल शाम 6:00 बज गए 4:00 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की ओर इतिहास रच दिया| इस सफलता के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया इसी के साथ ही भारत, अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया चंद्रमा की सतह पर अमेरिका पूर्व सोवियत संघ और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं हालांकि इनमें से कोई भी देश ऐसा नहीं है जिसकी सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इस क्षेत्र में हुई है|
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चंद्रयान-1 मिशन क्या है
“चंद्रयान -1” को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए लॉन्च किया गया था, जो चंद्रमा के सबसे कठिन आरंभ चरण तक पहुंचने के मुख्य उद्देश्य के साथ था। यह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की पहली बड़ी सर्वेक्षण जिम्मेदारी थी जिसकी शुरुआत 2008 में हुई थी।
चंद्रयान-1 का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के साथ चंद्रमा की ऊंचाई और ऊंचाई के करीब यात्रा करना है, क्योंकि वैज्ञानिकों को चंद्रमा की व्यवस्था, रूप, ठोस विशेषताएं, विशाल और नियंत्रित तथ्य और डेटा प्राप्त करने का समय मिलेगा।
चंद्रयान-1 की चंद्रमा की सतह की शांत छवियां और नियंत्रित डोजियर, जिसने हमें चंद्रमा की व्यवस्था के बारे में सोचने में सहायता की। मुख्य निर्णयों में से एक यह था कि चंद्रयान-1 ने हाइड्रॉक्सिल और आयन फ्रॉस्टिंग के संकेतों की खोज की, जो चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति की इच्छा रखते हैं।
Chandrayaan-1 कब लांच हुआ
चंद्रयान-1 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भारतीय चंद्रयान मिशन के रूप में लॉन्च किया गया था। यह मिशन भारतीय चंद्रग्रहण मिशनों में से पहला था। चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था। इस चंद्र ग्रहण को भारत सरकार और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था और इसका उद्देश्य चंद्रमा के अनोखे रहस्यों की खोज करना था।
चंद्रयान-1 के माध्यम से चंद्रमा की सात्रिंशी ऊर्जा प्रणाली तक जाने का प्रयास किया गया और विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों और तकनीकी उपायों का उपयोग करके चंद्रमा की सतह पर एक उपग्रह स्थापित किया गया। मिशन बहुत सफल रहा और चंद्रमा की सत्रिंशी ऊर्जा प्रणाली की उपस्थिति का प्रमाण प्राप्त हुआ।
चंद्रयान -1 का नाम किस व्यक्ति के नाम पर रखा गया था
चंद्रयान-1 का नाम विशेष रूप से विक्रम साराभाई पटेल (Vikram Sarabhai Patel) के सम्मान में रखा गया था, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। उन्होंने भारत में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें “भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन” (ISRO) की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। चंद्रयान-1 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चंद्रमा का पता लगाने वाला पहला मिशन था, और इसे 2008 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
Chandrayaan-2 कब लांच हुआ
GSLV Mk III-M1 इनिशिएट रॉकेट को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा 22 जुलाई 2019 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। 20 अगस्त, 2019 को चंद्रयान-2 चंद्रमा के प्रभाव में अनुकूल रूप से स्थापित हो गया।
इसी जिम्मेदारी के तहत 2 सितंबर 2019 को लैंडर विक्रम को ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान से वंचित कर दिया गया और तब से 7 सितंबर 2019 को चंद्रमा के दक्षिणी पोस्ट पर लैंडर विक्रम को सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया गया।
Chandrayaan-3 मिशन क्या है
Chandrayaan-3 भारतीय अंतरिक्ष उपग्रह है जो चंद्रयान मिशन का तीसरा भाग है यह भी चंद्रमा की सत्य है कि जांच के लिए बनाया गया है इस उपग्रह में तकनीकी और अंतरिक्ष स्थान विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को समाहित किया गया है| उसके अलावा आपको बता दें कि chandrayaan-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की धरती पर जाकर उच्चतम और बेहतरीन रचनाओं की पता लगाना है| chandrayaan-3 को 22:00 19 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा लांच किया जाना था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों के चलते यह मिशन अपने संघर्ष में फेल हो गया chandrayaan-3 14 जुलाई 2022 को लांच किया गया|
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चंद्रयान क्या काम करता है
जानिए चंद्रयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष अनुसंधान वाहन है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के हर पहलू का अध्ययन करना है। इसके माध्यम से वैज्ञानिक एवं तकनीकी तथ्यों को एकत्रित कर मानव ज्ञान को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है।
चंद्रयान के कुछ मुख्य कार्य इस प्रकार हैं: Chandrayaan Kya Hai
- मानव ज्ञान की उन्नति: चंद्रयान के माध्यम से हमें चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं के बारे में नई जानकारी मिलती है, जिससे मानव ज्ञान का विस्तार होता है।
- स्थलीय गतिविधियों का अध्ययन: चंद्रयान के माध्यम से हम चंद्रमा पर किसी भी संभावित स्थल पर मानव निवास की संभावनाओं की जांच करते हैं, जैसे चंद्रमा उपग्रहों की स्थापना का अध्ययन करना या विभिन्न अन्य गतिविधियों के लिए उपयुक्त स्थलों की खोज करना।
- चंद्रमा के भौतिक गुणों का अध्ययन: चंद्रयान के माध्यम से हम चंद्रमा की सतह और नीचे के भौतिक गुणों, जैसे उसकी संरचना, भूकंपीय गतिविधियों आदि की जांच करते हैं।
- उपग्रहों का अध्ययन: चंद्रयान के माध्यम से हम चंद्रमा के चारों ओर घूम रहे उपग्रहों, जैसे उनकी गतिविधियाँ, संरचना आदि का अध्ययन करते हैं।
- चंद्रमा के पृथ्वी तक संचरण का अध्ययन: चंद्रयान के माध्यम से हम चंद्रमा के पृथ्वी तक संचरण की गति, प्रतिदीप्ति आदि का अध्ययन करते हैं, जिससे इसके आसपास के क्षेत्र को समझने में मदद मिलती है।
चंद्रयान-3 के उद्देश्य
- चंद्रयान 3 के मुख्य रूप से तीन उद्देश्य हैं|
- चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना|
- रोवर को चंद्र पर घूमाना|
- लैंडर और रोवर्स द्वारा चंद्रमा की सतह पर शोध कराना|
Chandrayaan 3 मिशन की टीम
चलो फिर मुझ को चंद्रमा के महत्वकांक्षी मिशन के पीछे का दिमाग माना जाता है| उन्होंने गगनयान (चालक दल मिशन) और आदित्य L1(सूर्य के लिए मिशन) सहित कई अन्य मशीनों को तेजी से पूरा करने का श्रेय भी दिया गया है|
पी वीर मुथुवेल (chandrayaan-3 प्रोजेक्ट डायरेक्टर)
पीर मुथुवेल 2019 में chandrayaan-3 परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला अपने वर्तमान कार्यभार से पहले उन्होंने इसरो मुख्यालय में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक के रूप में कार्य किया|
मोहना कुमार (मिशन डायरेक्टर)
LVM3-M4/ चंद्रयान 3 के मिशन निदेशक अंतरिक्ष केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक मोहना कुमार है| उन्होंने पहले LVM3-M3 मिशन पर वनवेब इंडिया टू उपग्रहों के सफल वाणिज्य प्रशिक्षण के लिए निदेशक के रूप में कार्य किया था|
FAQ‘s Chandrayaan Kya Hai
एस. सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो
एस. उन्नीकृष्णन नायर, निदेशक, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र
पी. वीरमुथुवेल, परियोजना निदेशक, चंद्रयान-3.
एम. शंकरन, निदेशक, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर
22 अक्टूबर 2008 को भारत का पहला चंद्रयान लॉन्च हुआ था|
पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, यानी PSLV-C 11
Chandrayaan-1 चांद की सतह पर वोटर मॉलिक्यूलर यानी पानी को खोजा था|
मुल्ला दाऊदकृत चंद्रयान के रचयिता है|