Lok Sabha Ke Upadhyaksh Kaun Hai – लोकसभा का नाम तो आप सभी ने जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपको लोकसभा के उपाध्यक्ष के बारे में जानकारी है यदि आपको लोकसभा उपाध्यक्ष के बारे में जानकारी नहीं है और आप इस बारे में सभी विस्तार पूर्वक जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही पेज पर आए हैं| यहां पर आपको Lok Sabha Ke Upadhyaksh Kaun Hai के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गई है यदि आप इस विषय में सभी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे साथ अंत तक बने रहें|
Lok Sabha Ke Upadhyaksh Kaun Hai
यदि आप जानना चाहते हैं कि लोकसभा के वर्तमान उपाध्यक्ष कौन हैं तो हम आपको बता दें कि लोकसभा के वर्तमान उपाध्यक्ष श्री थंबीदुरई जी लोकसभा के वर्तमान उपाध्यक्ष हैं इनको मुनिसामी थंबीदुरई के नाम से भी जाना जाता है इनका जन्म 15 मार्च 1947 को हुआ था यह एक भारतीय राजनेता है| जिन्होंने लोकसभा के उपाध्यक्ष और भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेता के रूप में कार्य किया थंबीदुरई एक भारतीय राजनीतिक है वर्तमान 16वीं लोकसभा में लोकसभा के उपाध्यक्ष हैं और तमिलनाडु राज्य से अन्नाद्रमुक पार्टी के लोकसभा के सांसद हैं|
लोकसभा उपाध्यक्ष पद के बारे में जानकारी
लोकसभा उपाध्यक्ष का पद भारत के प्रमुख संवैधानिक पदों में से एक है संसद के निचले सदन अर्थात लोकसभा में अध्यक्ष के अनुपस्थिति रहने पर सदन की कार्यवाही की जिम्मेदारी लोकसभा के उपाध्यक्ष पर ही होती है इस पद के इतिहास को 1919 के भारत सरकार अधिनियम मैं देखा जा सकते हैं| जिसके आधार पर 1921 में इस पद का सृजन हुआ 1921 से पहले भारत का गवर्नर जनरल केंद्रीय विधान परिषद की बैठक का पीठासीन अधिकारी होता था 1921 में सच्चिदानंद सिन्हा को केंद्रीय विधान परिषद का प्रथम उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया उस समय अध्यक्ष व उपाध्यक्ष क्रमशः प्रेसिडेंट में डिप्टी प्रेसिडेंट कहलाते थे भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत प्रेसिडेंट डिप्टी प्रेसिडेंट को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष कहा गया आजादी के बाद लोकसभा के प्रथम उपाध्यक्ष बने|यह भी जानिए लोक सभा सांसद कैसे बने
यह भी पढ़ें – लोक सभा और राज्य सभा में अंतर |
यह भी पढ़ें – अग्निपथ योजना क्या है |
लोकसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव एवं पद त्याग
लोकसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव लोकसभा सदस्यों द्वारा ही किया जाता है सदन में अध्यक्ष के चुने जाने के बाद अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव की तारीख निर्धारित करता है इस तारीख पर सदन के सदस्य आपस में ही किसी एक सदस्य को उपाध्यक्ष चुनते हैं| जब उपाध्यक्ष का स्थान रिक्त होता है तो लोकसभा दूसरे सदस्य को इस स्थान के लिए चुनती है चुनाव के बाद अध्यक्ष की तरह उपाध्यक्ष भी सदन के कार्यकाल तक अर्थात साधारणतः 5 वर्ष तक अपना पद धारण करता है| वह निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में लोकसभा का उपाध्यक्ष नहीं रहता है इन तीन परिस्थितियों के बारे में हम आपको नीचे बताने वाले हैं|
- जब उसके सदन की सदस्यता चली जाए|
- जब वह अध्यक्ष को संबोधित कर अपना त्यागपत्र सौंप दें|
- यदि उसे लोकसभा के सदस्यों द्वारा बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा हटा दिया जाए|
लोकसभा उपाध्यक्ष के कार्य एवं शक्तियां
लोकसभा के अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर उपाध्यक्ष के ऊपर ही उसके कार्यों की जिम्मेदारी होती है सदन की बैठक में अध्यक्ष की अनुपस्थिति की स्थिति में उपाध्यक्ष अध्यक्ष के तौर पर कार्य करता है| दोनों ही स्थितियों में वह अध्यक्ष की शक्ति का निर्वहन करता है संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में भी अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष पीठासीन अधिकारी के तौर पर कार्य करता है|
- यहां यह दिया तब यह है कि उपाध्यक्ष अध्यक्ष का अध्ययन नहीं होता वह प्रत्यक्ष रूप से केवल संसद के प्रति उत्तरदाई होता है|
- जब भी उपाध्यक्ष को किसी संसदीय समिति का सदस्य बनाया जाता है| तो वह उस समिति का पदेन सभापति होता है यह भारतीय संविधान द्वारा लोकसभा उपाध्यक्ष को दिया गया एक विशेषाधिकार है|
- अध्यक्ष की ही तरह उपाध्यक्ष भी जब पीठासीन होता है तब वह सदन में मतदान नहीं कर सकता केवल दो पक्षों के बीच मत बराबर होने की स्थिति में ही उसे मतदान के प्रयोग का अधिकार है|
- जब अध्यक्ष सदन में पीठासीन होता है तो उपाध्यक्ष सदन के अन्य दूसरे सदस्यों की तरह होता है उसे सदन में बोलने कार्यवाही में भाग लेने और किसी प्रश्न पर मत देने का अधिकार है|
- जब उपाध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव सदन के विचाराधीन हो तब वह पीठासीन नहीं हो सकता हालांकि उसे सदन की बैठक में उपस्थित रहने का अधिकार है|
- उपाध्यक्ष संसद द्वारा निर्धारित किए गए वेतन में भत्ते का हकदार हैं जो भारत की संचित निधि द्वारा देश होता है|
- परंपरा अनुसार यह प्रथा थी कि लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष सत्ताधारी दल के ही होंगे किंतु वर्तमान में अध्यक्ष सत्ताधारी दल से जबकि उपाध्यक्ष आमतौर पर मुख्य विपक्षी दल से चुना जाता है|
- लोकसभा का उपाध्यक्ष पद धारण करते समय कोई शपथ या प्रतिज्ञा नहीं लेता है|
यह भी पढ़ें – भारत के उपराष्ट्रपति कौन है |
यह भी पढ़ें – भारत के विदेश मंत्री कौन हैं? |
प्रथम लोकसभा उपाध्यक्षों से अब तक के उपाध्यक्षों की सूची
उपाध्यक्ष | कार्यकाल | राजनैतिक दल |
एम ए अयंगर | 1952-56 | भा.रा.कोंग्रेस |
हुकुम सिंह | 1956-62 | भा.रा.कोंग्रेस |
एस वी के राव | 1962-67 | भा.रा.कोंग्रेस |
रघुनाथ केसव खाडिलकर | 1967-69 | गठबंधन |
जी जी स्वेल्ल | 1971-77 | भा.रा.कोंग्रेस |
जी मुहर्री | 1977-79 | डी.एम.के. |
जी लाक्स्मंनन | 1980-84 | ए,आई.डी.एम.के |
एम. थंबीदुरई | 1985-89 | भा.रा.कोंग्रेस |
शिवराज पाटिल | 1990-91 | भा.ज.पा |
एस मल्लिकार्जुनइयाह | 1991-96 | भा.ज.पा |
सूरज भान | 1996-97 | भा.रा.कोंग्रेस |
पी एम सईद | 1999-2004 | भा.रा.कोंग्रेस |
चरण जीत सिंह अटवाल | 2004-2009 | सिरोमणि अकाली दल |
कारिया मुंडा | 2009-2014 | भा.ज.पा |
एम थम्बिदुरै | 2014-2019 | ए,आई.डी.एम.के |
FAQ’s
एम ए अय्यंगार मद्रासी अनन्तशयनम लोकसभा के प्रथम उपाध्यक्ष थे|
ओम बिरला वर्तमान में लोकसभा के अध्यक्ष हैं|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा के सीईओ है|