बाढ़ (Flood) क्या है? बाढ़ आने के कारण | Flood in Hindi

Flood in Hindi : बाढ़ एक वैश्विक समस्या और आपदा है खासकर बरसात के दिनों में तो भारत में बाढ़ की विभीषिका को लाखों लोग झेलते आए हैं आज के अपने लेख के माध्यम से हम आपको बाढ़ क्या है के बारे में बताने वाले हैं बाढ़ (Flood)क्या है के अलावा हम आपको इसका अर्थ बाढ़ के प्रभाव बचाव के उपाय आदि भी बताएंगे| क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जो बाढ़ आने से परेशान हैं और वह इसके बचाव के उपाय जानना चाहते हैं और आपको बता दें कि सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित देशों में भारत दूसरे नंबर पर है| इसलिए बेहतर है कि सभी लोगों को Baadh Kya Hai (Flood in Hindi ) और बाढ़ के प्रभाव तथा बचाव के उपायों के बारे में जानकारी होना जरूरी है यही कारण है कि आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से बाढ़ के बारे में सभी विस्तार पूर्वक जानकारियां प्रदान करेंगे इन सभी जानकारियों को जानने के लिए हमारे साथ अब तक बने रहे|

बाढ़ क्या है (Flood in Hindi)

Flood, बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो अत्यधिक वर्षा के कारण उत्पन्न होती है। यह जल बहाव के कारण नदियों और जलाशयों के तटीय क्षेत्रों में उत्पन्न होती है और यह जल कोषों, ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी इलाकों में विसर्जित करने की क्षमता से बड़ी हो जाती है। यह बाढ़ के प्रभाव से जल लेवी, घरों की नष्टि, फसलों का नुकसान, लोगों के मरने और प्राणियों के मरने जैसे कई भारी नुकसानों का कारण बनती है।

बाढ़ के कारण नदियों के जलस्तर में अचानक वृद्धि हो जाती है और जल कोष अपनी सम्पूर्ण क्षमता से निकलने वाले जल की मात्रा से ऊपर उठ जाता है। इसके परिणामस्वरूप, जल नदी के किनारे वाले क्षेत्रों में बहने लगता है और जहां यह जल नहीं बह सकता है, वहां यह बाढ़ के रूप में रूपांतरित होता है। इसके आधार पर, बाढ़ की प्रकृति तथा उसका प्रभाव स्थानीय मानसिकता, जल की मात्रा, भूमि की प्रकृति, और अन्य कारकों पर निर्भर कर सकती है।

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(Due to Flood) बाढ़ के कारण

बाढ़ कई कारणों से हो सकती है, जो निम्नलिखित हो सकते हैं:



अधिक वर्षा: अधिक वर्षा या मॉनसून बारिश बाढ़ का मुख्य कारण होती है। जब वर्षा की मात्रा अनुमानित से अधिक होती है और भूमि या नदियों को इसे सहार्य नहीं कर पाती है, तो बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

नदी का अतिरिक्त बहाव: नदीओं के पानी का अतिरिक्त बहाव बाढ़ का मुख्य कारण हो सकता है। यह उन क्षेत्रों में होता है जहां अचानक तेजी से वर्षा होती है और नदियों की प्रवाह में बदलाव पैदा होता है, जिससे नदियाँ उनकी सीमा से बाहर निकल जाती हैं।

भूकंप: भूकंप एक और कारण हो सकता है जो बाढ़ को प्रेरित कर सकता है। भूकंप के पश्चात भूमि या पहाड़ी इत्यादि में चीरा या टूटाव आ सकता है, जिससे जल निकलने की स्थिति पैदा हो सकती है।

जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन भी बाढ़ का कारण बन सकता है। जब किसी क्षेत्र में मौसम की पैटर्न में बदलाव होता है, जैसे कि जलवायु उष्णता के कारण बारिश की मात्रा में वृद्धि होती है, तो वहां बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

अव्यवस्थित शहरीकरण: अव्यवस्थित शहरीकरण भी बाढ़ का कारण बन सकता है। जब शहरों में अनुचित ढंग से इमारतों, सड़कों और अन्य ढांचा सुविधाओं का विकास होता है, तो वृद्धि करती है, जो प्राकृतिक जल प्रवाह को रोकती है और बाढ़ की स्थिति पैदा करती है।

वनों का ह्रास: वनों की कटाई से भू-क्षरण की दर बढ़ रही है जिसके कारण नदियों, जलाशयों की जलसंग्रहण क्षमता मे कमी होती है। वनो की कटाई के कारण भूमि द्वारा जल अवशोषण की दर मे कमी होने से जलाशय तथा नदियों मे जल-स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण प्रतिवर्ष विश्व की लाखों हेक्टेयर भूमि बाढ़ग्रस्त हो जाती है।

ये केवल कुछ कारण हैं जो बाढ़ की स्थिति पैदा कर सकते हैं। बाढ़ के कारण विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकते हैं, और इसे प्रभावित करने वाले कारणों की संख्या भी भिन्न हो सकती है।

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बाढ़ के प्रभाव

बाढ़ एक प्राकृतिक परिस्थिति है जो बहुत अधिक मात्रा में बारिश के कारण होती है और जिसके प्रभाव सामान्यतया अत्यधिक वायु निकायों में दिखाई देते हैं। यह जल प्रदूषण, जलाशयों की उच्च स्तरों पर पानी का उभरना और अवसादी भूमि की कार्य क्षमता से अधिक जल अवशोषण की असमर्थता के कारण हो सकती है। यह विभिन्न परिस्थितियों और क्षेत्रों में भिन्न प्रभावों के साथ आ सकती है।

बाढ़ के प्रमुख प्रभावों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • जल प्रदूषण: बाढ़ के समय बारिश ने बहुत अधिक मात्रा में भूमि पर जल को ले जाती है, जो जल प्रदूषण की समस्या को बढ़ा सकता है। जब यह प्रदूषित जल नदियों और झीलों में पहुंचता है, तो यह मानव स्वास्थ्य और पानी के जीवाश्म जैव विविधता को प्रभावित कर सकता है।
  • जीवाश्मों के नुकसान: बाढ़ के समय अधिक जल के कारण जीवाश्मों को प्रभावित किया जा सकता है। उच्च जलस्तरों में, जंगली जानवर, पक्षियों, कीटों और अन्य जीवाश्मों के लिए संरक्षण की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • आवासीय क्षेत्रों का प्रभाव: बाढ़ के समय, आवासीय क्षेत्रों में जल संकट की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जल के उच्च स्तरों से प्रभावित होने से, घरों, इमारतों, सड़कों और संरचनाओं को नुकसान पहुंच सकता है और लोगों को उनके घरों को छोड़ने के लिए मजबूर कर सकता है।
  • खेती और खाद्य सुरक्षा: बाढ़ के समय, खेती क्षेत्रों में नुकसान हो सकता है जो खाद्य सुरक्षा पर असर डाल सकता है। बाढ़ के बाद के जल स्तर की वजह से फसलों के नष्ट होने, उनके पकने की क्षमता में कमी और कीटों और रोगों के प्रकोप की संभावना बढ़ सकती है।
  • बीमारियों मे वृद्धि: बाढ़ मे मृत मनुष्यों, जीवों व जानवरों से अत्यधिक मात्रा मे, रोगाणु फैलते है जो विभिन्न प्रकार की बीमारियां तथा महामारी फैलाते है।
  • अर्थव्यवस्था: बाढ़ के समय अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। व्यापार, उद्योग और पर्यटन सेक्टरों में बाढ़ के कारण संपत्ति के नुकसान, उत्पादन की कमी और रोजगार का अस्थायी या स्थायी नुकसान हो सकता है।

(Ways to Avoid Flood) बाढ़ से बचने के उपाय

बाढ़ से बचने के उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:

सतर्क रहें और मौसम पूर्वानुमानों को ध्यान से सुनें: बाढ़ के आने के पहले और मौसम सूचनाओं के दौरान सतर्क रहें। मौसम विभाग द्वारा जारी की गई बाढ़ संबंधित सूचनाओं को नियमित रूप से पढ़ें और उनके अनुसार कार्रवाई करें।

  • उचित निर्माण और पुनर्निर्माण: बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में सही निर्माण तकनीकों का उपयोग करें। घरों और संरचनाओं को अच्छी तरह से निर्माण करें और उनके लिए स्थान का चयन करें जहां पानी समुचित रूप से निकल सकता है। पुराने और कमजोर घरों की मरम्मत करें और स्थानांतरण के माध्यम से खतरनाक क्षेत्रों से दूर रखें।
  • बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में निवासियों की जागरूकता बढ़ाएं: स्थानीय समुदायों में बाढ़ के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए संगठन या स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करें। लोगों को बाढ़ के खतरे के बारे में जागरूक करें और उन्हें बाढ़ के पहले ही सुरक्षित स्थानों पर जाने और तत्पर रहने की सलाह दें।
  • पानी को नियंत्रित करें: जल निकासी के मार्गों को सुनिश्चित करें और नदी बांधों, तालाबों और नहरों को नियंत्रित करने के लिए उचित प्रबंधन उपाय अपनाएं। जल संचय की व्यवस्था करें और जल संरचनाएं बनाएं जो जल को अच्छी तरह से संभाल सकती हैं।
  • अलर्ट सिस्टम का उपयोग करें: इंटरनेट, मोबाइल एप्लिकेशन या स्थानीय अधिकारियों द्वारा चलाए जाने वाले बाढ़ अलर्ट सिस्टम का उपयोग करें। इसके माध्यम से, आप अवधि, उपयुक्त कर्मचारियों की जानकारी और सुरक्षा निर्देशों की प्राप्ति के साथ बाढ़ की सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
  • सुरक्षा और तत्परता: बाढ़ के मौसम में सतर्क और तत्पर रहें। बाढ़ के आने की संभावना होने पर बचाव के लिए अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित स्थान पर जाएं। जहां परेशानी हो सकती है, वहां से दूर रहें और उचित सुरक्षा के नियमों का पालन करें।
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बाढ़ रोकने के सुझाव/उपाय

बाढ़ रोकने के उपाय अथवा सुझाव इस प्रकार हैं–

1. जलग्रहण क्षेत्र मे वृक्षारोपण कर मृदा अपरदन की दर कम करके विभिन्न भागों मे बोरिंग कर डग कुओं का निर्माण किया जाये। इससे एक ओर भूमिगत जल के स्तर मे वृद्धि होगी तथा दूसरी ओर धरातलीय जल प्रवाह की मात्रा मे भी कमी होगी, जिससे बाढ़ के प्रकोप को कम किया जा सकेगा।

2. मुख्य नदी की सहायक नदियों पर छोटे-छोटे जलसंग्रह बाँध अनेक स्थानों पर निर्मित किये जाये, जिससे मुख्य नदी मे जल के आयतन मे अधिक वृद्धि नही होगी तथा बाढ़ के प्रकोपों से होने वाली हानियों को कम करने मे सफलता प्राप्त होगी।

3. नदियों पर निर्मित बाँध तथा जलाशयों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ जलाशयों की सामयिक सफाई होती रहनी चाहिए।

4. नदियों तथा जलधाराओं के प्राकृतिक प्रवाह मार्ग मे आने वाले अवरोधों को दूर करना चाहिए।

5. नदियों तथा उनकी सहायक नदियों की तली की सामयिक सफाई होती रहना चाहिए।

6. मुख्य नदी के अतिरिक्त जल को अन्य चैनल निर्मित कर वितरित कर देना चाहिए, ताकि बाढ़ का प्रकोप कम हो सके।

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FAQ‘s Flood in Hindi

बाढ़ क्या है?

बाढ़ एक ऐसी आपदा है जिसमें अचानक भारी मात्रा में जल का परिवहन होने से सूखी धरती जलमग्न हो जाती है|

5 बाढ़ कौन सी है?

आकस्मिक बाढ़ तटीय बाढ़ शहरी बाढ़ नदी बाढ़ और तालाब बाढ़|

बाढ़ का मुख्य कारण क्या है?

भारी बारिश या हिमपात बाढ़ का मुख्य कारण है|

बाढ़ से सबसे अधिक हानि किसकी होती है?

जान माल की बाढ़ से सबसे अधिक हानि होती है|

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