आरक्षण (Reservation) क्या है? इसके नियम |आरक्षण क्यों और कब लागू हुआ

Reservation Kya Hota Hai आरक्षण (Reservation) क्या है इसको कब और क्यों लागू किया गया और इसके नियम क्या है जाने पूरी जानकार हिंदी में – Reservation Kya Hai

भारत में आरक्षण का मुद्दा वर्षों पुराना है समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों का आरक्षण पद्धति के प्रति अलग-अलग मत है 1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के संविधान ने पहले के कुछ समूहों को अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के रूप में सूचीबद्ध किया| संविधान निर्माताओं का मानना था कि जाति व्यवस्था के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ऐतिहासिक रूप से पिछड़े रहे और उन्हें भारतीय समाज में सम्मान तथा समान अवसर नहीं दिया गया और इसलिए राष्ट्रीय निर्माण की गतिविधियों में उनकी हिस्सेदारी कम रही जिसके कारण निम्न वर्ग के लोगों का आरक्षण दिया गया|

यदि आप लोगों को आरक्षण के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं है तो आज के हमारे लेख से आप जान सकते हैं कि आरक्षण (Reservation Kya Hai) यह कब और क्यों लागू हुआ इसका इतिहास इन सभी जानकारियों की विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे लेख को अंत तक जरूर पढ़ें|

आरक्षण क्या हैReservation Kya Hai

Reservation Kya Hai – सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के समुदायों को सामाजिक स्तर तथा शैक्षिक रूप से पिछड़ेपन को समाप्त करने के उद्देश्य से तथा पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने भारतीय कानून की सहायता से सभी सरकारी सार्वजनिक तथा निजी शिक्षा संस्थानों के पदों तथा सीटों को आरक्षित करके पिछड़े वर्ग अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लोगों को कोटा प्रणाली यानी कि आरक्षण प्रणाली प्रदान की है साथ ही भारतीय संसद में भी पिछड़े वर्ग अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए आरक्षण नियमों का विस्तारण किया गया है| यह सर्वप्रथम केवल 10 वर्षों के लिए लागू किया गया है जो एक बार लागू होने के बाद 10 वर्ष में बढ़ाया जाता है|



(Reservation) आरक्षण की वर्तमान स्थिति

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण किसी को भी प्रदान नहीं किया जा सकता है लेकिन राजस्थान की तरह कुछ राज्यों में 68% आरक्षण की मांग की गई है विभिन्न राज्यों में आरक्षण प्रतिशत में वृद्धि के लिए नए कानून बनाए जा सकते हैं| महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा के रूप में मराठा समुदाय को 16% तथा मुस्लिम वर्ग को 5% का अतिरिक्त आरक्षण प्रदान किया है इसके अतिरिक्त तमिलनाडु में सर्वाधिक 69% तथा मध्य प्रदेश में 50% आरक्षण प्राप्त है भारत सरकार के द्वारा वर्तमान समय में सभी जातियों के लिए आरक्षण दिया गया है| वह इस प्रकार है जो हम नीचे दर्शाने वाले हैं|

पिछड़ी जाति (OBC) किसे कहते है
वर्तमान में कौन क्या है ?

आरक्षण की वर्तमान स्थिति (Current Status Of Reservation)

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण किसी को भी प्रदान नहीं किया जा सकता है लेकिन राजस्थान की तरह कुछ राज्यों में 68% आरक्षण की मांग की गई है विभिन्न राज्यों में आरक्षण प्रतिशत में वृद्धि के लिए नए कानून बनाए जा सकते हैं महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा के रूप में मराठा समुदाय को 16% तथा मुस्लिम वर्ग को 5% का अतिरिक्त आरक्षण प्रदान किया है इसके अतिरिक्त तमिलनाडु में सर्वाधिक 69% तथा मध्य प्रदेश में 50% आरक्षण प्राप्त है भारत सरकार के द्वारा वर्तमान समय में सभी जातियों के लिए आरक्षण दिया गया है| वह इस प्रकार है जो हम नीचे दर्शाने वाले हैं|

वर्ग आरक्षणप्रतिशत
अनुसूचित जाति (SC)15
अनुसूचित जनजाति (ST)7.5
सामान्य (GEN)10
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)27
कुल आरक्षण59.5

आरक्षण का इतिहास

  • भारत में आरक्षण का इतिहास आजादी से भी पुराना है भारत में आरक्षण की शुरुआत 18 सो 82 में हंटर आयोग के गठन के साथ हुई थी उस समय विख्यात समाज सुधारक महात्मा ज्योति राव फूले ने सभी के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा तथा अंग्रेज सरकार की नौकरियों में अनुपातिक आरक्षण प्रतिनिधित्व की मांग की थी|
  • 1891 के आरंभ में त्रवंकोर के सामंती रियासत में सार्वजनिक सेवा में योग्य मूल्य निवासियों की अनदेखी करके विदेशियों को भर्ती करने के खिलाफ प्रदर्शन के साथ सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए मांग की गई|
  • वर्ष 1960 में महाराष्ट्र में कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति शाहूजी महाराज ने पिछड़े वर्ग से गरीबी दूर करने के उद्देश्य से तथा राज्य प्रशासन में नौकरी प्रदान करने के लिए आरक्षण की शुरुआत की यह भारत में पिछड़े तथा दलित वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए आरक्षण प्रदान कराने का पहला सरकारी आदेश है|
  • 1960 में अंग्रेजों द्वारा बहुत सारी जातियों और समुदायों के पक्ष में प्रशासन में जिनका थोड़ा बहुत हिस्सा था उनके लिए आरक्षण शुरू किया गया|
  • 1909 और 1919 में भारत सरकार अधिनियम में आरक्षण का प्रावधान किया गया|
  • 1921 में मद्रास प्रेसिडेंसी ने जातिगत सरकारी आज्ञा पत्र जारी किया जिसमें गैर ब्राह्मणों के लिए 44% ब्राह्मणों के लिए 16% मुसलमानों के लिए 16% भारतीय अंगलो ईसाईयों के लिए 16% और अनुसूचित जाति के लिए 8% आरक्षण की व्यवस्था की गई थी|
  • 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रस्ताव पास किया यह पूना समझौता के नाम से विख्यात है जिसमें दलित वर्गों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग की गई थी|
  • वर्ष 1935 के भारत सरकार अधिनियम में आरक्षण का प्रावधान बनाया गया था|
  • 1942 में भारत रत्न बीआर अंबेडकर ने अनुसूचित जातियों की उन्नति के समर्थन के लिए अखिल भारतीय दलित वर्ग महासंघ की स्थापना की उन्होंने सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग की|
  • 1946 के कैबिनेट मिशन प्रस्ताव में अन्य कई सिफारिशों के साथ अनुपातिक प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव दिया गया था|

भारतीय संविधान में कितने भाग अनुच्छेद और अनुसूचियां हैं

  • 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ भारतीय संविधान में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर प्रदान करते हुए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की उन्नति के लिए संविधान में विशेष धाराएं रखी गई| इसके अलावा 10 वर्षों के लिए उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए अलग से निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए थे हर 10 वर्ष के बाद संवैधानिक संशोधन के जरिए इन्हें बढ़ा दिया जाता है|
  • 1953 में कालेलकर आयोग का गठन अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के मूल्यांकन के उद्देश्य से किया गया था| इस गठन के द्वारा अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित रिपोर्ट को मान लिया गया लेकिन अन्य पिछड़ी जाति ओबीसी के लिए की गई सिफारिशों को अमान्य कर दिया गया था|
  • 971 में मंडल आयोग के द्वारा OBC की 52% जनसंख्या का मूल्यांकन करने के उद्देश्य से वर्ष 1930 की जनगणना के आंकड़े का प्रयोग कर पिछले वर्ग के रूप में 1257 समुदायों का वर्गीकरण किया गया था|
  • 1980 में मंडल आयोग में तत्कालीन कोटा में परिवर्तन करके इसे 22% से बढ़ाकर 5% करने की वकालत की वर्ष 2006 तक मंडल आयोग द्वारा तैयार पिछड़ी जातियों की सूची में जातियों की संख्या 2297 तक हो गई जिसमें समुदाय सूची में 60% की वृद्धि हुई है|
  • वर्ष 1990 में मंडल आयोग के समर्थन पर विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा सरकारी नौकरियों में लागू किया गया छात्र संगठनों के द्वारा विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन शुरू किया तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र राजीव गोस्वामी ने आत्मदाह करने की कोशिश की थी|
  • 1991 में नरसिम्हा राव सरकार के द्वारा अगड़ी जातियों में गरीब लोगों के लिए अलग से 10% आरक्षण की शुरुआत की|
  • 1942 में इंदिरा गांधी साहनी मामले के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को स्वीकार किया|
  • 1995 में संसद ने 77 वे संविधान संशोधन के अंतर्गत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की उन्नति के उद्देश्य से आरक्षण का समर्थन कर अनुच्छेद 16 (4) ए का गठन किया तथा बाद में आगे भी 85 व संशोधन के अंतर्गत पदोन्नति में वरिष्ठता को सम्मिलित किया गया था|
  • 2005 अगस्त में निजी शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्गों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आरक्षण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 93वा संविधानिक संशोधन लाया गया|
  • वर्ष 2006 से केंद्रीय सरकार के द्वारा शैक्षिक संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रारंभ किया गया|
  • 10 अप्रैल 2006 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी धन से पोषित संस्थानों में 27% ओबीसी कोटा प्रारंभ करने के लिए सरकार को सही ठहराया|
  • वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के 10% आरक्षण दिया गया है इसमें आर्थिक पैमाना 8 लाख प्रतिवर्ष से कम आयु वाले लोगों को दिया जाएगा|
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आरक्षण संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • संविधान के भाग 3 में समानता के अधिकार की भावना का वर्णन किया गया है इसके अंतर्गत अनुच्छेद 15 में प्रावधान दिया गया है कि किसी व्यक्ति के साथ जाती प्रजाति लिंग धर्म या जन्म के स्थान पर भेदभाव नहीं किया जाएगा| तथा आर्थिक रूप से पिछड़े या अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए विशेष प्रावधान कर सकता है|
  • संविधान के अनुच्छेद 16 में अवसरों की समानता की बात कही गई है अनुच्छेद 16 चार के अनुसार यदि राज्यों को लगता है| कि सरकारी सेवाओं में पिछड़े वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह उनके लिए पदों को आरक्षित कर सकता है|
  • अनुच्छेद 330 के अंतर्गत संसद तथा अनुच्छेद 332 में राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित की गई है|
  • भारत देश में आरक्षण की शुरुआत सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को समृद्ध बनाने तथा समानता प्रदान करने के लिए हुई थी लेकिन समय के साथ आरक्षण को राजनीतिक पार्टियों में वोट प्राप्ति के उद्देश्य से आरक्षण राजनीति का शिकार बनता गया वर्तमान समय में प्रत्येक राजनीतिक दल सत्ता प्राप्ति के उद्देश्य से आरक्षण शब्द का प्रयोग कर रहा है राजनीति के कारण आरक्षण का मूल उद्देश्य समय के साथ समाप्त होता जा रहा है|

आरक्षण देने के कारण

भारत में सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व ना रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों और धार्मिक भाषाई अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को छोड़कर सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने के लिए कोटा प्रणाली लागू की है| भारत के संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण नीति को विस्तारित किया गया है|

आरक्षण लाभ के योग्य सामान्य जाति

  • जाति आरक्षण प्राप्त करने के लिए बात करने के आप की वार्षिक i8 लाख से कम होनी चाहिए|
  • आपके पास 5 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य जमीन हो|
  • सामान्य जाति के व्यक्ति के पास मकान 1000 स्क्वायर फिट से कम जमीन पर बना हो|
  • आपके पास नगर निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो|
  • आप किसी भी प्रकार के किसी आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते हो|

Reservation लाभ के अयोग्य

इस संशोधन का लाभ उन व्यक्तियों को नहीं प्रदान किया जाएगा जिनके पास तय सीमा से अधिक संपत्ति होगी तथा जिनके पास सरकारी जमीन डीडीए तथा निगम की जमीन पर अपना मकान होगा उन्हें भी इसका लाभ प्रदान किया जाएगा|

आरक्षण के लिए अन्य मानदंड

  • स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे, बेटियों, पोते, पोतियो, नाती, नातीयों के लिए आरक्षण का प्रावधान है|
  • शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए भी आरक्षण है|
  • शैक्षिक संस्थानों में अनिवासी भारतीयों के लिए छोटे पैमाने पर सीटें आरक्षित तथा उन्हें अधिक शुल्क और विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है नोट 2003 में एन आर आई आरक्षण आईआईटी से हटा लिया गया था|
  • खेल हस्तियों को भी आरक्षण प्राप्त है|
  • सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए आरक्षण उपलब्ध है|
  • शहीदों के परिवारों के लिए आरक्षण की सुविधा उपलब्ध है|
  • सेवानिवृत्त सैनिकों को भी आरक्षण प्राप्त|
  • सशस्त्र बलों के कर्मियों के मृत्यु प्रांत आश्रितों के लिए आरक्षण प्राप्त है|
  • अंतरजातीय विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी आरक्षण प्राप्त है|
  • विभिन्न संगठनों द्वारा प्रायोजित उम्मीदवारों के लिए आरक्षण की सुविधा है|
  • सरकारी उपक्रमों सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विशेष स्कूलों जैसे सेना स्कूलों सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के स्कूलों आदि में उनके कर्मचारियों के बच्चों के लिए आरक्षण प्राप्त है|
  • वरिष्ठ नागरिकों पीएच (PH) के लिए सार्वजनिक बस परिवहन में सीट आरक्षण प्राप्त है|

आरक्षण के प्रकार (Types Of Reservation)

जातिगत आरक्षण

केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध सीटों में से 22.5% अनुसूचित जाति दलित और अनुसूचित जनजाति आदिवासी के छात्रों के लिए आरक्षित है जिसमें से अनुसूचित जातियों के लिए 15% अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 प्रतिशत है ओबीसी के लिए अतिरिक्त 27% आरक्षण को शामिल करके आरक्षण को यह प्रतिशत 49.5% तक बढ़ा दिया गया है अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 14% सीटें अनुसूचित जातियों और 8% अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है इसके अलावा अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए 50% अंक प्राप्त करना अनिवार्य है|

प्रबंधन कोटा

जाति समर्थक आरक्षण के अंतर्गत प्रबंधन कोटा सबसे विवादस्पद कोटा है प्रमुख शिक्षाविदों द्वारा भी इसकी गंभीर आलोचना की गई है क्योंकि जाति नस्ल और धर्म पर ध्यान दिए बिना आर्थिक स्थिति के आधार पर यह कोटा है जिसके पास भी पैसे है वह अपने लिए सीट खरीद सकता है इसमें निजी महाविद्यालय प्रबंधन की अपनी कसौटी के आधार पर तय किए गए| विद्यार्थियों के लिए 15% सीट आरक्षित कर सकते हैं इस कसौटी में व महाविद्यालयों कि अपनी प्रवेश परीक्षा या कानूनी तौर पर 10+2 के न्यूनतम प्रतिशत शामिल होते हैं|

लिंग आधारित आरक्षण

महिलाओं को ग्राम पंचायत में आरक्षण (जिसका अर्थ है गांव की विधानसभा जो कि स्थानीय ग्राम सरकार का एक रूप है) और नगर निगम के होने वाले चुनावों में 33% आरक्षण प्राप्त है बिहार जैसे राज्य में ग्राम पंचायत में महिलाओं को 50% आरक्षण प्राप्त है 9 मार्च 2010 को 186 सदस्यों के बहुमत से राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया था| इसके विपक्ष में केवल 1 वोट होने के कारण अब यह विधेयक लोकसभा में जाएगा पारित होने के बाद यह लागू कर दिया जाएगा|

धर्म आधारित आरक्षण

कुछ राज्यों में राज्य पर आधारित आरक्षण भी लागू किया गया है जैसे तमिलनाडु सरकार के द्वारा मुसलमानों और ईसाइयों के लिए 3.5 – 3.5% सीटें आवंटित की गई है जिसमें OBC आरक्षण 30% से 23% तक कर दिया गया है क्योंकि मुसलमानों या इसाई यों या मुसलमानों से संबंधित अन्य पिछड़े वर्ग को इस से हटा दिया गया| तमिलनाडु में ओबीसी के 30% आरक्षण के अतिरिक्त अति पिछड़ी व विमुक्त जातियों को 20% आरक्षण कोटा की व्यवस्था है| केंद्र सरकार ने अनेक मुसलमान समुदायों को पिछड़े मुसलमानों में सूचीबद्ध कर रखा है इससे वे आरक्षण के हकदार होते हैं|

राज्य के स्थाई निवासियों के लिए आरक्षण

कुछ अप वादों को छोड़कर राज्य सरकार के अधीन सभी नौकरियां उस राज्य में रहने वाले सभी निवासियों के लिए आरक्षित होती है पीईसी (PEC) चंडीगढ़ में पहले 80% सीट चंडीगढ़ के निवासियों के लिए आरक्षित थी और अब यह 50% कर दी गई है|

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