Cyclone Kya Hai – साइक्लोन जैसी प्राकृतिक आपदा मानव जीवन में बहुत सी समस्याओं को लेकर आती है लेकिन हमें चाहिए कि हम इन प्राकृतिक आपदाओं से लड़कर और भी मजबूती के साथ निखर कर आए क्योंकि अधिकतर लोग चक्रवात से डरते ही हैं क्योंकि यह एक ऐसी विकट समस्या है जो हमारे देश को कुछ ही मिनटों में तहस-नहस कर देती है यह आपदा देश की सुंदरता को तो नुकसान पहुंचाती ही है उसी के साथ साथ कई जानमाल की भी हानियां इन प्राकृतिक आपदाओं से उठानी पड़ती है इसलिए आज हम चक्रवात के बारे में सभी जानकारियां विस्तार पूर्वक प्रदान करेंगे हम आपको बताएंगे कि साइक्लोन क्या है इसके प्रकार प्रभाव उपाय एवं और भी अधिक जानकारियां हम आपको साइक्लोन के बारे में बताएंगे इन सभी जानकारियों को जानने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहे
Cyclone Kya Hai
साइक्लोन एक प्राकृतिक आपदा है जो वायुमंडलीय शरीर (atmospheric disturbance) के रूप में ज्यादातर बारिश, तेज हवाएं और ऊँचाईयों के साथ जुड़ी होती है। साइक्लोन एक मार्मिक उच्चदाब क्षेत्र होता है जिसका केंद्रीय भाग कम दाब पर होता है और जो वायुमंडलीय आवाज वर्तनी का कारण बनता है। यह आपदा तापमान, ताप और मौसम के दबाव के कारण होती है और बड़ी तेज हवाएं और बारिश के साथ आती है।
साइक्लोनों के अनुभव को देखते हुए उन्हें कई विभिन्न नाम दिए गए हैं। उदाहरण के लिए, उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में, साइक्लोनों को हुर्रिकेन कहा जाता है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में उन्हें टाइफून कहा जाता है। इसके अलावा, इंडियन ओशन में साइक्लोनों को वायुबाध (cyclonic storm) या डिप्रेशन (depression) कहा जाता है।
Cyclone, साइक्लोनों की तीव्रता वेल बहुस्तरी (well-defined spiral) और केंद्रीय बारिश नियंत्रण करने वाले केंद्रीय दबाव के आधार पर आंकी जाती है। उनके केंद्र में एक आवर्ती बाढ़ बनती है जिसे “आँख” (eye) कहा जाता है और यहां वायुमंडलीय दबाव सबसे कम होता है। आंख के चारों ओर पायी जाने वाली हवाओं की गति तेज होती है और उन्हें “आंधी चक्र” (eyewall) कहा जाता है। यहां बारिश और हवाओं की तेज गति के कारण आपदा का आकार सबसे बड़ा होता है।
साइक्लोनों के प्रभाव सामान्य रूप से तेज हवाओं, बारिश, भूकंप, उच्च तरंगवेली और ऊँचाईयों में वृद्धि के रूप में दिखाई देते हैं। इनके प्रभाव से पूरे क्षेत्र में बाढ़, भूस्खलन, उच्च तरंगवेली के कारण तबाही, मानवीय और आर्थिक हानि हो सकती है।
चक्रवात के प्रकार
चक्रवात मुख्य रूप से 6 प्रकार के होते हैं जिनके नाम नीचे बताए गए हैं|
- धुवीय चक्रवात
- धुवीय कम
- अंत उष्ण कटिबंधीय
- उष्णकटिबंधीय
- मेसो स्केल
- अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात
बिपरजॉय क्या है | Cyclone Kya Hai
बिपरजॉय एक तूफान है जो इन दिनों सभी के लिए आफत बना हुआ है इसके आने की खबर ने सभी को खौफ में डाल दिया है इस चक्रवाती साइक्लोन स्टोन का नाम विप्रा जो यह तेजी से भारत की ओर बढ़ रहा यह तूफान गुजरात के तट से टकराएगा इससे पहले ही गुजरात के कई जिलों में तेज हवा के साथ भारी बारिश हो रही है| भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सौराष्ट्र और कच्छ जिलों के तटीय इलाकों के लिए गंभीर चक्रवाती तूफान की चेतावनी जारी की है इसकी तैयारी के लिए गुजरात में NDRF, SDRF, BSF और आर्मी के साथ मरीन की टीमें तैनात की गई है पूर्वी और पश्चिमी कच्छ में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है ऐसे में सभी को अलर्ट रहने की बहुत आवश्यकता है|
बिपरजॉय तूफान का नाम कैसे पड़ा
चक्रवाती तूफान के नाम बड़े ही विचित्र प्रकार के होते हैं इसके नाम अलग-अलग देश रखते हैं इस चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का नाम बांग्लादेश ने दिया है बांग्ला में बिपरजॉय का अर्थ विनाशक (डिजास्टर) होता है विश्व मौसम विज्ञान संगठन के सदस्य देश चक्रवाती तूफान का नाम देते हैं यूएन के इकोनामिक एंड सोशल कमिशन फॉर एशिया एंड पेसिफिक पैनल के 13 सदस्य देश नॉर्थ हिंद महासागर में उठाने वाले तूफानों के नाम तय करते हैं 13 देशों के पैनल में भारत, पाकिस्तान, ओमान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, मालदीव, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यमन शामिल है|
इस बार तूफान का नाम देने की जिम्मेदारी बांग्लादेश की थी इसके अलावा आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए अलग-अलग पैनल के किए हुए हैं हर पैनल में कुछ देश शामिल होते हैं जो तूफानों के नाम तय करते हैं सदस्य देशों के अल्फाबेट क्रम के आधार पर चक्रवाती तूफान का नाम रखना होता है|
चक्रवाती तूफान कैसे आता है
समुद्री जल का तापमान बढ़ने पर इसके ऊपर मौजूद हवा गर्म हो जाती है यह ऊपर की ओर उठने लगती है तो उस जगह कम दबाव का क्षेत्र बनने लगता है| इसे भरने के लिए पास की ठंडी हवा कम दबाव वाले जगह की ओर बढ़ने लगती है गर्म और ठंडी हवाओं के मिलने से तूफान का जन्म होता है यही तूफान तेज हवाओं के साथ बारिश भी लाता है|
चक्रवात के प्रभाव
चक्रवात के बहुत से प्रभाव होते हैं जिनमें से कुछ प्रभावों के बारे में हम आपको बताएंगे|
- चक्रवात के कारण पेड़ गिर जाते हैं|
- इसके कारण भारी वर्षा होती है|
- साइक्लोन के कारण कई लोगों की जानें चली जाती है|
- बहुत सी स्ट्रीट लाइट के खंभे गिर जाते हैं|
- कई बिल्डिंग गिर जाती है|
- कई इलाकों में पानी भर जाता है|
- चक्रवात के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है|
- साईं कोन से जीव जंतु और पक्षियों को भी नुकसान पहुंचता है|
साइक्लोन से बचाव के उपाय
Cyclone, साइक्लोन से बचाव के कुछ उपायों के बारे में नीचे बताया गया है
- घरों की मरम्मत कराएं|
- रेडियो से जुड़े रहे ताकि आपको सारी खबरें मिलती रहे|
- ज्वेलर्स फील पदार्थों को हिफाजत से रखें ताकि तेज हवा चलने पर वह भीषण का रूप ना ले ले|
- कांच की खिड़कियों पर लगाने के लिए लकड़ी के बोर्ड तैयार रखें|
- फ्लैशलाइट लालटेन कुछ सूखे सेल अपने पास रखें|
- पेड़ पौधों तथा बिजली के तारों के नीचे या आसपास ना रहे|
- फसलें यदि 80% भी परिपक्व हो गई हो तो उसे काट ले|
- पशुओं को उचित शेड में रखें|
- किसी भी प्रकार की अफवाह से बचें|
साइक्लोन कैसे बनता है
साइक्लोन प्रमुख रूप से वायुमंडल में विकसित चक्रवाती संचलन के मजबूत होने से बनता है साइक्लोजेनेसिस कई विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए एक छतरी नुमा पद होता है| जिनके परिणाम से चक्रवात का विकास होता हुआ चला जाता है| यह सूक्ष्म पैमाने से लेकर संक्षिप्त पैमाने तक हो सकता है इसके अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात ठंडे सत चक्रवात के रूप में परिवर्तित होने से पहले मौसम के अग्रांत में तरंगों के रूप में विकसित हो जाते हैं जिसके कारण बहुत अधिक गर्मी और तेज आंधी चलने लगती है इसी प्रकार से साइक्लोन (चक्रवात) का रूप ले लेता है|
उष्णकटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएं
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात का व्यास 80 से 300 किमी होता है इसके साथ ही कभी-कभी इन का व्यास 50 किमी से भी कम हो जाता है|
- इसकी गति 28 – 32 किमी प्रति घंटा होती है लेकिन हरिकेन और टाइल्स फोन 120 किमी प्रति घंटा से भी अधिक गति के साथ चलते हैं|
- इनकी गति स्थल की अपेक्षा सागरों पर अधिक तेज के साथ चलती हैं|
- यह चक्रवात सामान्यतः व्यापारिक हवाओं के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं|
- इस चक्रवात में अनेक वाताग्र नहीं होते और ना ही तापक्रम संबंधी विभिन्न ता पाई जाती है|
- यह चक्रवात कभी-कभी एक ही स्थान पर ठहर कर तीर वर्षा भी करने लगते हैं|
- केंद्र में न्यून वायुदाब होता है|
- समुद्र रेखाएं अल्पसंख्यक और वृत्ताकार होती है|
- इस चक्रवात का विस्तार भूमध्य रेखा के 33 1 अनुपात 2 उत्तरी एवं दक्षिणी आकांक्षा उत्तक होता है|
FAQ’s – Related Cyclone Kya Hai
मुख्य रूप से चक्रवात 6 प्रकार के होते हैं|
चक्रवात को कई नामों से जाना जाता है जैसे हरिकेन, टाईफून, ट्रॉपिकल स्टॉर्म, साइक्लोनिक स्टॉर्म, ट्रॉपिकल डिप्रेशन और केवल साइक्लोन|
2 से 6 दिन तक चक्रवात रह सकता है|