(Lunar Eclipse) चन्द्र ग्रहण क्या होता है जाने पूरी जानकारी हिंदी में

तो मित्रो आज हम चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) के विषय पर अपने लेख के अंतर्गत आपको सभी जानकारियां प्रदान करेंगे| आपने अक्सर चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का नाम तो सुना ही होगा दोस्तों आपको बता दूं कि चंद्र ग्रहण से बहुत सी आपदाएं समाप्त होती है और इस बार लगातार तीसरी बार गुरु पूर्णिमा की शुभ तिथि पर यह चंद्र ग्रहण पड़ रहा है और इस बार की खास बात यह है कि इस बार उपछाया पूर्णिमा चंद्र ग्रहण पड़ने जा रहा है तो ऐसे में बहुत से लोग ऐसे हैं जो चंद्र ग्रहण के बारे में जानना चाहते हैं| उनको आज हम बताएंगे कि Lunar Eclipse Kya Hota Hai, चंद्र ग्रहण कब लगता है, चंद्र ग्रहण में क्या करें और क्या ना करें तथा इसके प्रकार के बारे में भी आप हमारे लेख के माध्यम से जानेंगे इन सभी जानकारियों को जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़ें|

Lunar Eclipse Kya Hota Hai

जब चंद्रमा धरती की छाया में चला जाता है तब चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) होता है| यह तो आप जानते ही होंगे कि चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह होता है उपग्रह होने के कारण यह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है| इसी चक्कर के उपरांत चंद्रमा का रास्ता परवालयकार हो जाता है जिस कारण चंद्रमा कभी पृथ्वी के समीप तो कभी पृथ्वी के सबसे अधिकतम दूरी पर घूमता है| चंद्र ग्रहण तभी हो सकता है सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा अन्य दोनों के बीच पृथ्वी के साथ बिल्कुल या बहुत निकट संरेखित हो जो केवल पूर्णिमा की रात को ही हो सकता है| चंद्रग्रहण का प्रकार और लंबाई चंद्रमा की चंद्र नोड से निकटता पर निर्भर करता है|

खगोल शास्त्र के अनुसार जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आती है तो चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है| और वह दिखाई नहीं देती है इस स्थिति को ही चंद्रग्रहण कहा जाता है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है| यही कारण है कि वह अधिक देर के लिए पृथ्वी की छाया में नहीं रुक सकता और कुछ ही समय में पृथ्वी की छाया से बाहर आ जाता है|

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चंद्र ग्रहण कब लगता है

  • जब चंद्रमा और सूर्य के बीच धरती आ जाती है और पृथ्वी की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है तो आंशिक या पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है|
  • जब चंद्रमा धरती की छाया में चला जाता है तब चंद्रग्रहण होता है|
  • चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा में ही हो सकता है क्योंकि पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी की कक्षा के तुलना में थोड़ी अंतकाल है| इसलिए ग्रहण करने के लिए जरूरी पूर्ण संरेखण हर पूर्णिमा में नहीं होता है पूर्णकभी-कभी दिखाई देता है|
  • चंद्र ग्रहण की पूरी घटना घटने की आमतौर पर 2 घंटे का समय लगता है|
  • चंद्र ग्रहण के समय पर पृथ्वी की दो छाया चंद्र पर पड़ती है|
  • उमरा यानी छाया के बीच वाला सबसे घना काला सा और पीएम ब्रा यानी बारीक छाया चंद्रमा दो चरणों में अपनी गति के अनुसार इन दोनों में से गुजरता है|

(Lunar Eclipse) चंद्र ग्रहण में क्या करें

  • चंद्र ग्रहण से पहले स्नान करके भगवान का भजन करना अच्छा होता है|
  • चंद्र ग्रहण के दौरान गुरु मंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवान नाम का जप करें|
  • चंद्र ग्रहण के पश्चात पहले से रखा हुआ पानी और अन्य और नष्ट कर देना चाहिए और नए भोजन तथा नए पानी का इस्तेमाल करना चाहिए|
  • चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए|
  • चंद्र ग्रहण के बाद उचित व्यक्ति को दान भी दे सकते हैं|
  • चंद्र ग्रहण के काल में गायों को घास पक्षियों को दाना और जरूरतमंदों को वस्त्र एवं दान देना बहुत पुण्य का काम होता है|

चंद्र ग्रहण में क्या करें

  • चंद्र ग्रहण के दौरान स्नान ना करें|
  • ग्रहण काल में सहवास नहीं करना चाहिए|
  • ग्रहण के दौरान भोजन ना तो पकाना चाहिए और ना ही भोजन खाना चाहिए|
  • चंद्र ग्रहण लगते समय सोने वाला व्यक्ति रोगी होता है|
  • चंद्र ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया काम शुरू ना करें|
  • चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को बाहर नहीं निकलना चाहिए|

Lunar Eclipse के प्रकार

Lunar Eclipse 3 प्रकार के होते हैं



Lunar Eclipse Kya Hota Hai
  1. पूर्ण चंद्र ग्रहण
  2. आंशिक चंद्रग्रहण
  3. उपछाया चंद्र ग्रहण

पूर्ण चंद्र ग्रहण

पहला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूर्ण रूप से आ जाती है तो ऐसी स्थिति में पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है|

आंशिक चंद्रग्रहण

दूसरा चंद्र ग्रहण आंशिक चंद्रग्रहण होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूर्ण रूप से ना कर उसकी छाया चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर पड़ती है तो आंशिक चंद्रग्रहण होता है

उपछाया चंद्र ग्रहण

उपछाया  चंद्र ग्रहण होता है तब वास्तविक ग्रहण होता है लेकिन कई बार चंद्रमा छाया में प्रवेश करके उपचाया शंकु से ही बाहर निकल कर आता है और भूभा में प्रवेश नहीं करता है| इसलिए उपछाया  के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है काला नहीं होता इस धुंधलेपन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है|

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